
नई ई – पीओएस मशीन से वितरण व्यवस्था चरमराई सलोन ब्लाक के एक कोटेदार ने सौंपा इस्तीफा


*नई वितरण व्यवस्था को समझ नहीं पा रहे ग्रामीण संकट के दौर से गुजर रहे कोटेदार*
*90 रुपए कुंतल मिल रहे कमीशन में मजदूरी भी देना मुश्किल, आखिर बोरे के वजन का अनाज कहां से पूरा करें कोटेदार*
मंडल ब्यूरो चीफ अनुभव शुक्ला लखनऊ
रायबरेली। शासन द्वारा सरकारी उचित दर विक्रेताओं को हाल ही में मुहैय्या कराई गई नई ई – पीओएस मशीन से पिछले दो महीनों से वितरण व्यवस्था में हुए परिवर्तन को कुछ कार्डधारक समझने को तैयार नहीं हैं। वितरण व्यवस्था में हुए परिवर्तन व खाद्यान्न वितरण में देरी को कार्डधारक मुख्य जिम्मेदार सम्बन्धित कोटेदार को ही समझ रहे हैं। और तो और जहां सरकारी उचित दर कि दुकानों पर इससे पहले पुरानी कि ई पीओएस मशीन से दो से तीन लोग मिलकर तीन दिनों में लगभग पांच सौ कार्ड धारकों को खाद्यान्न बांट डालते थे। वहीं अब एक सप्ताह में भी पांच सौ राशनकार्ड धारकों को तकनीकी त्रुटियों के कारण खाद्यान्न वितरण नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल सरकारी कांटा व ई पीओएस मशीन दोनों आपस में डिवाइस से कनेक्ट हैं। इधर उसी कांटे खाद्यान्न खारिज कर रसीद प्राप्ति कि प्रक्रिया चलती रहती है। कि उधर जिनको खाद्यान्न प्राप्ति कि रसीद मिल चुकी है वह कार्ड धारक उसी कांटे से तौलवा कर राशन लेने के लिए खड़ा रहता है उस कार्ड धारक को उसी सरकारी कांटे से तौल कर राशन देने कि चल रही प्रक्रिया में जिस कार्ड धारक के मशीन पर अंगूठा लगवाने कि प्रक्रिया शुरू रहती उसमें देरी होते ही सर्वर छोड़ देता है। खाद्यान्न वितरण में इन्हीं जटिल प्रक्रियाओं के चलते एक राशन कार्ड धारक को खाद्यान्न देने में दस लगभग दस मिनट तक का समय लग जाता है कभी – कभी तो घंटों सर्वर ईशू रहता है। ऐसे में कार्डधारकों से अधिक उचित दर विक्रेताओं को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है। किंतु हद तो तब पार होती है। इतनी समस्याओं से जूझने के बाद भी कोटेदारों को आलोचनाओं व अनेकों मिथ्या आरोपों का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही व्यवस्था से आहत होकर सलोन ब्लाक क्षेत्र स्थित सोनबरसा गांव के कोटेदार रहे हीरा लाल ने इस्तीफा सौंप दिया है। सलोन के आपूर्ति विभाग द्वारा काफी समझाने व यथा संभव सहयोग के आश्वासन के बाद भी उचित दर विक्रेता इस्तीफा को वापस नही लिया। उस पूरे मामले से स्पष्ट है कि सरकारी उचित दर विक्रेता इन दिनों संकटों के दौर से गुजर रहा है। नाम ना छापने कि शर्त पर कुछ कोटेदारों ने बताया कि ऊपर से बोरे में भरकर अनाज दुकान पर आता है बोरे का वजन लगभग 500 से 600 ग्राम होता है यदि तौल में दो सौ बोरे में अनाज मिला तो लगभग एक कुंतल से ऊपर बोरे का ही वजन हो जाता है जिससे अनाज कम हो जाता है। जिसे कोटेदार को अपने घर से स्टाक में अनाज पूरा करने पर मजबूर होना पड़ता है। कोटेदारों को 90 रुपए प्रति कुंतल कि दर से कमीशन मिलता है। किंतु वो कभी – कभी समय से नहीं मिलता। ऐसे में वितरण में लगे मजदूरों को मजदूरी तक देने के लाले पड़ जाते हैं। आखिर कब तक इस संकट के दौर से उचित दर विक्रेता गुजरेंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
*कोटेदार के इस्तीफे पर हो रहा विचार विमर्श, उस दुकान को दूसरे दुकान से कर दी गई है सम्बद्ध – आपूर्ति निरीक्षक*
वहीं इस बाबत तेजतर्रार आपूर्ति निरीक्षक सूर्यकांत चौरसिया ने बताया कि उचित दर विक्रेताओं का विभाग द्वारा हर सम्भव मदद किया जाता है। किंतु शासनादेश का पालन ना करने वाले उचित दर विक्रेताओं पर शिकंजा भी कसा जाता है। विभागीय कार्यों में लापरवाही किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं होगी। सोनबरसा गांव के सरकारी उचित दर विक्रेता (कोटेदार) हीरालाल द्वारा इस्तीफा सौंपा गया है। जिस पर विचार विमर्श किया जा रहा है। फिलहाल कार्डधारकों के साहूलियत के लिए दूकान को दूसरी दुकान से सम्बध्द कर दिया गया है। 29 अप्रैल कि रात को ई पीओएस मशीन बंद हो जायेगी कार्डधारक तय समय से पहुंच कर अपना राशन प्राप्त करें।