जन्म के बाद फर्जी जाति प्रमाणपत्र : 27 जुलाई को कमेटी के साथ मंडलायुक्त सलोन नगर पंचायत अध्यक्ष के भाग्य का करेंगी फैसला

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जन्म के बाद फर्जी जाति प्रमाणपत्र : 27 जुलाई को कमेटी के साथ मंडलायुक्त सलोन नगर पंचायत अध्यक्ष के भाग्य का करेंगी फैसला

 

अपीलीय कोरम कि बैठक में निरस्त जाति प्रमाण-पत्रों कि सुनवाई को लेकर चार को जारी हुई नोटिस

 

बीते वर्ष डीएम ने चार लोगों के फर्जी जाति प्रमाणपत्र निरस्त किए जाने का सुनाया था फरमान*

 

मंडल ब्यूरो चीफ अनुभव शुक्ला लखनऊ

रायबरेली। जिले कि सलोन एक तहसील बन चुकी जहां फर्जी जन्म प्रमाणपत्र व जाति प्रमाण-पत्रों को जिम्मेदार नियमों को ताक पर रखकर जारी कर दिए। अभी हाल ही में सलोन ब्लाक में तैनात विजय कुमार यादव नाम के ग्राम विकास अधिकारी व जनसुविधा केन्द्र संचालक ने लगभग उन्नीस हजार से अधिक गैर प्रांत के लोगों के जन्म प्रमाणपत्र जारी कर दिए। किंतु इसी बीच फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर टिकी सलोन नगर पंचायत अध्यक्ष चंद्र शेखर रस्तोगी कि कुर्सी पर पर भी संकट के बादल मंडराने को बेताब हैं। दरअसल पिछले वर्ष तत्कालीन जिलाधिकारी ने शिकायती पत्र कि जब जांच करवाई तो सलोन नगर पंचायत निवासी निधि रस्तोगी पत्नी मनोज रस्तोगी, चंद्र शेखर रस्तोगी पुत्र राम लखन रस्तोगी , मनोज कुमार रस्तोगी पुत्र राम लखन रस्तोगी , ओम प्रकाश पुत्र राम दुलारे, द्वारा बनवाए गए पिछड़े वर्ग का जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया गया था। जिसके बाद चारों लोगों ने डीएम के निर्देश को कमिश्नरी न्यायालय में अपील दायर कर डीएम के आदेश को चुनौती दे दिया था। जिसके बाद महीनों चली पेशियों के बाद रायबरेली कि पूर्व जिलाधिकारी व तेजतर्रार मंडलायुक्त रोशन जैकब के अपर आयुक्त घनश्याम सिंह ने जारी किए गए पत्रांक संख्या 322 में लिखा कि निधि रस्तोगी पत्नी मनोज रस्तोगी, चंद्र शेखर रस्तोगी पुत्र राम लखन रस्तोगी , मनोज कुमार रस्तोगी पुत्र राम लखन रस्तोगी , ओम प्रकाश पुत्र राम दुलारे, के निरस्त जाति प्रमाण-पत्रों के प्रकरण को 27 जुलाई कि दोपहर एक बजे मंडलीय/अपीलीय कोरम कि टीम के समक्ष सुना जायेगा। जिसकी अध्यक्षता मंडलायुक्त रोशन जैकब करेगीं।

 

*जनरल श्रेणी में आते हैं रस्तोगी पिछड़े वर्ग का जाति प्रमाणपत्र लगा कर लड़े थे चेयरमैन का चुनाव*

 

यदि विद्वानों कि मानें तो “रस्तोगी” हिन्दू समाज में क्षत्रिय वर्ग का एक उपनाम है। राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व की विरासत, जिसका नाम “सूर्य की वंशावली” को दर्शाता है, ने क्षत्रिय ( इक्ष्वाकु ) या योद्धा कबीले के सौर राजवंश से जुड़े उपनामों ( रस्तोगी, रोहतगी, रुस्तगी ) की एक श्रृंखला को जन्म दिया था। इन विद्वान मतों को नकार कर अपनी जाति को छिपाते हुए चंद्र शेखर रस्तोगी ने तत्कालीन सलोन तहसील कर्मियों कि सांठ-गांठ से पिछड़े वर्ग का जाति प्रमाणपत्र हासिल कर लिया और उसी जाति प्रमाण-पत्रों के आधार पर नामांकन किया जिम्मेदार अधिकारियों ने भी नामांकन पत्रों कि बिना जांच किए नामांकन पत्र को वैध करार दिया जिसके बाद चेयरमैन पद का निर्दलीय चुनाव चंद्र शेखर रस्तोगी ने लड़ा और विजयी होने के चंद दिनों बाद हुई शिकायतों से करतूतों कि परतें खुलती गई। और अंततः तत्कालीन जिलाधिकारी ने चार लोगों के फर्जी जाति प्रमाण-पत्रों को निरस्त कर दिया है। अब सवाल यह है कि फर्जी जन्म प्रमाण-पत्रों को बनाने वाले ग्राम विकास अधिकारी विजय व संलिप्त अन्य को तो जेल भेजा गया। यदि मंडलायुक्त कि जांच में भी ये जाति प्रमाणपत्र निरस्त हुए तो उन जाति प्रमाण-पत्रों को बनाने वाले राजस्व कर्मचारियों पर प्रशासन कार्यवाही कर पायेगा या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा। वो कुछ भी किंतु बीजेपी का दामन थामने के बाद एक बार फिर से सलोन नगर पंचायत अध्यक्ष चंद्र शेखर रस्तोगी कि कुर्सी कानून के चाबुक कि आहट से डगमगाती हुई नजर आ रही है।

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