वो 13 जुलाई कि काली रात : छः दिन बीता चांदनी हत्याकांड सुर्खियों में आया इंस्पेक्टर लाइन हाजिर अन्य आरोपी बचे आखिर आधी रात को बिना फोरेंसिक जांच के ही बंछरावां पुलिस ने क्यूं फुंकवा दिया था शव.?

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वो 13 जुलाई कि काली रात : छः दिन बीता चांदनी हत्याकांड सुर्खियों में आया इंस्पेक्टर लाइन हाजिर अन्य आरोपी बचे

 

आखिर आधी रात को बिना फोरेंसिक जांच के ही बंछरावां पुलिस ने क्यूं फुंकवा दिया था शव.?

 

*हाथरस व निर्भया कांड कि तर्ज पर जिले कि चांदनी को भी न्याय दिलानें कि खातिर सड़कों पर रहे ग्रामीण*

 

 

मंडल ब्यूरो चीफ अनुभव शुक्ला लखनऊ

बंछरावां/ रायबरेली। (उपभोक्ता खबर) वो बेंच दिये ईमानों को जो न्याय दिलाने का शपथ लिये ! ये अबला को मार दिये ! वो पेट्रोल डाल कर फूंक दिये!! अखबार में छपी इस तस्वीर को जरा गौर से देखिए! ये बंछरावां पुलिस है। ये पुलिस कर्मी हत्या हुए महिला के शव को पेट्रोल लेकर फूंकने जा रहे हैं। ऐसा हम नहीं ये आरोप बंछरावां थाना क्षेत्र कि जनता के हैं। निर्भया, निठारी और हाथरस कांड कि तरह रायबरेली में भी एक चांदनी नाम कि अबला दरिंदों के काली करतूतों कि शिकार हो गई। किंतु यहां कहानी में मुख्य खलनायक का किरदार उसने निभाया जिसने तिरंगे के नीचे कसम खाकर वर्दी को पहनी थी। माजरा 13 जुलाई कि काली रात का है। जहां बंछरावां थाना क्षेत्र के चुरुवा गांव के ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि एक शराबी पति ने उत्तराखंड निवासी अपनी पत्नी को रात के अंधेरों में शराबियों के आगे उसके जिस्म को परोस दिया था। शराबी पति के हैवान साथियों ने हवस कि भूंख मिटाने के बाद अस्मत लुटा बैठी चांदनी के जीवन का भी चिराग बुझा दिया था। मामला खाकी तक पहुंचा किंतु मददगार खाकी ने भी चांदनी के लाश के साथ दरिंदों का सरदार बनकर हैवान का किरदार अदा किया! पेट्रोल डालकर महिला के शव को बिना फोरेंसिक टीम कि जांच के ही चांदनी के शव को आग के हवाले कर दिया। और मनमाफिक तहरीर लेकर मामले में मुख्य आरोपियों के कारनामों पर पर्दा डाल दिया। आज छः दिन बीत चुके हैं लोग सड़कों पर उतरकर जब रायबरेली कि चांदनी को न्याय दिलाने कि मांग करने लगे तो वही निर्भया, निठारी और हाथरस कांड कि यादें तरो-ताजा हो गई। सोशल मीडिया पर बंछरावां पुलिस कि कुछ वीडियो भी पिछले चार-पांच दिनों से लगातार सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए जिसमें बंछरावां पुलिस कि मौजूदगी में कहीं शव जल रहा है। कहीं पुलिस ग्रामीणों को धमका रही है। कहीं पुलिसकर्मी बाइक से पेट्रोल ले जाते नजर आ रहे हैं। इतना सब होने के बाद पुलिस महकमे पर धब्बा बने बंछरावां थाना के इंस्पेक्टर को सिर्फ लाइन हाजिर ही किया गया है। वहीं घटना में शामिल मृतका चांदनी के पति जीतू सिंह के अन्य शराबी साथियों को दबोचा नहीं गया। थाना के अपराध रजिस्टर व जीडी में विभत्स वारदात का मुकदमा दर्ज होने से कहीं रुतबे में कमीं न आ जाए इसी को बचाने के चक्कर में बंछरावां पुलिस ने हर हथकंडों को अपनाकर मुख्य आरोपियों को अभयदान दे दिया। जिससे रहस्यमई चांदनी हत्याकांड के खुलासे पर पर्दा पड़ गया। जिससे यह कहना मुश्किल नहीं है कि दरिंदों ने अबला चांदनी कि हत्या कि! और खाकी ने न्याय कि हत्या कि! आखिर इन दोनों गुनाहगारों को योगी सरकार में न्याय मिल पायेगा या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा। किंतु पूरे जनपद में पुलिस कि थू – थू हो चुकी है। हालांकि आक्रोश बढ़ता देखकर पुलिस मृतका के पति को जेल भेज दिया है।

 

*आखिर कहां गये चुनाव में वोटों कि भीख मांगने वाले सत्ता और विपक्ष के दिग्गज नेता जनता अकेले जूझ रही है!*

 

बंछरावां के चुरुवा स्थित चांदनी हत्याकांड कि गूंज जनपद ही नहीं बल्कि लखनऊ के राजनितिक गलियारों में भी है किंतु हाल ही में लोकसभा चुनाव के सम्पन्न होने के बाद गांव गलियों में घूम रहे सत्ताधारी पार्टी बीजेपी व विपक्ष के छोट भइया नेताओं से लेकर दिग्गज नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। बंछरावां कि जनता आज ऐसे नेताओं को खोज कर न्याय दिलाने में मदद करने कि गुहार लगा रही है। हाल ही में कांग्रेस व सपा के कुछ जनपद स्तरीय नेताओं का झुंड़ बंछरावां के चुरुवा स्थित चांदनी हत्याकांड के पीड़ितों से मिलने जरुर पहुंचा किंतु घटना को लेकर एक्श पर एक्शन क्यूं नहीं लिया। इसका उत्तर सपा व कांग्रेस के छोट भइया नेता भी नहीं दे पा रहे हैं। जनपद में सत्ताधारी पार्टी कि मंत्री आई जिले में योगी सरकार के मंत्री भी हैं पर अब तक हत्यारों के विरुध्द कार्यवाही कराने तो दूर पीड़ित परिवार को शोक संवेदना भी देना उचित नहीं समझे। और तो और पुलिस अधीक्षक अभिषेक अग्रवाल भी अपने लाडले इंस्पेक्टर विजेंद्र शर्मा पर कार्यवाही करने से कतरी काट रहे हैं। हालांकि धीरे – धीरे रायबरेली कि चांदनी हत्याकांड कि आग धधकती जा रही है समाजिक संगठन व जागरूक ग्रामीण बैनर तले मामले कि उच्चस्तरीय व निष्पक्ष जांच व दोषियों पर प्रभावी कार्यवाही कि मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का सिर्फ यही कहना है कि फोरेंसिक के जांच का पुलिस ने इंतजार क्यूं नहीं किया.? और आधी रात को पुलिस ने पेट्रोल डालकर मृतका के शव को क्यूं फूंका.? इन यक्ष प्रश्नों का उत्तर पुलिस महकमे के उच्चाधिकारी भी नहीं दे पा रहे हैं। बंछरावां थानाध्यक्ष के हाजिर होने के बाद ग्रामीण शव फूंकने में शामिल अन्य पुलिस कर्मियों पर भी कार्यवाही कि मांग कि है।

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