
पूरनपुर जाटब वस्ती में महान संत शिरोमणि रविदास जी महाराज की जन्म जयंती बड़े ही धूम धाम से मनायी गयी


रिपोर्ट, मिल्टन कुमार
उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके दिये गये सिद्धांतों पर चलने पर चलने की प्रेरणा दी गई समस्त जाटव समाज के लोगों को शिक्षा को अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जाए
बैठक में अश्विनीगौतम,किशन लाल गौतम, राधे श्याम सागर पूर्व सभासद,प्रदीप कुमार सागर,एडवोकेट विकास सागर,एडवोकेट नरेश पाल गौतम,अरविंद कुमार, गौतम राजीव सागर,शौरभ सागर,श्री प्राकाश ,हरीश कुमार,हीरा लाल आदि जाटव समाज के लोगों थे। एडवोकेट विकास सागर पूरनपुर ने कहा कि जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।।
इस दोहे में संत रविदास जी कहते हैं कि केले के तने को छिला जाये तो पते के निचे पता और पते के नीचे पता मिलता है और अंत में कुछ भी नहीं मिलता है। ठीक उसी प्रकार इन्सान भी जातियों में बंट गया है। उनका कहना है कि इन जातियों ने इन्सान को बांट दिया है। अंत में इन्सान भी खत्म हो जाता है। पर जातियां खत्म नहीं होती है। संत रविदास जी कहते हैं कि जब तक जातियां खत्म नहीं होगी तब तक इन्सान एक नहीं हो सकता है।
राधे श्याम सागर ने कहा
संत रविदास जी भारतीय इतिहास के महान संतों में से एक थे जिनके विचार और जीवन दर्शन हमेशा से लोगों को प्रेरित करते रहे हैं। हमें जीवन के रहस्यों को समझने में मदद करते हैं। उनके विचार हमें सच्ची समृद्धि और सुख की ओर ले जाते हैं। उनके विचार हमें न सिर्फ अपने जीवन के साथ-साथ समाज और देश के उन्नति की दिशा में भी सोचने के लिए प्रेरित करते हैं।
प्रदीप कुमार सागर ने कहा
जैसा कि संत रविदास जी ने कहा था, “जो जो कुछ करता है, वह उसी का होता है।” यह हमें बताता है कि हमारे कर्म हमारी दृष्टि और जीवन को बनाते हैं। इसलिए हमें सकारात्मक कर्म करने चाहिए और अपने कर्मों को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
अश्विनी गौतम जी ने कहा
उन्होंने कहा था, “जो सत्य का पालन करता है, उसे कभी भी डर नहीं होता।” यह हमें बताता है कि सत्य के पालन से हमें किसी भी चीज़ से डरने की ज़रूरत नहीं होती है। हमें सत्य के लिए उठना चाहिए और सत्य का पालन करना चाहिए, चाहे दुनिया हमारे ख़िलाफ़ कुछ भी कहे।
संत रविदास जी ने कहा था, “दूसरों की बुराई करना छोड़ दो, स्वयं में सुधार करो।” यह हमें बताता है कि हमें दूसरों की बुराई करने की जगह स्वयं में सुधार करने की कोशिश करनी चाहिए। हमें अपने दोषों को समझना चाहिए और उन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।
अगला संत रविदास जी का विचार है, “जो दीन होता है, वही सत्य होता है।” इसका मतलब है कि एक व्यक्ति जो दीन होता है, जिसे सबकुछ छोड़ना पड़ता है, वह सच्चाई का अनुभव करता है। उसे सच्चाई के साथ रहना सीखना चाहिए और उसे सच्चाई का पालन करना चाहिए । विकास सागर एडवोकेट पूरनपुर जिला पीलीभीत ।