प्राइवेट स्कूल बने लूट के अड्डे, किताबों के नाम पर पैंरंट्स की जेब कर रहे खाली; आखिर कब रुकेगी उनकी मनमानी

0
Spread the love

प्राइवेट स्कूल बने लूट के अड्डे, किताबों के नाम पर पैंरंट्स की जेब कर रहे खाली; आखिर कब रुकेगी उनकी मनमानी

देश के प्राइवेट स्कूल खुलकर लूट के अड्डे बन गए हैं. सरकारों से सस्ते दाम पर जमीनें खरीदकर बने इन स्कूलों में पैरंट्स को महंगे दामों पर किताबें खरीदने के लिए मजबूर कर कंगाल किया जा रहा है.

वही दुकानदार से कॉपी किताबों पर डिस्काउंट करने को कहा जाता है तो दुकानदार का कहना होता है कि हम डिस्काउंट नहीं कर सकते यह सब स्कूल वालों के हाथ में है

 

स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है लेकिन हमारे देश में प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा को शुद्ध व्यापार बना दिया है. प्राइवेट स्कूल अब मुनाफाखोरी के अड्डे बन चुके हैं. जिसमें सब्जीमंडी की तरह हर चीज बिकाऊ है और प्राइवेट स्कूलों का एक ही मंत्र है- जितना लूट सको, लूट लो. जहां पर अभिभावकों को ऊंचे दामों पर किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है. जो माता-पिता स्कूलों के अंदर खुलीं दुकानों से या फिर बाहर स्कूल के सौजन्य से खुली दुकान से किताबें खरीदने से इंकार करते हैं उन्हें अपने बच्चे का नाम स्कूल से कटवा लेने के लिए कह दिया जाता है. यानी माता-पिता को सिर्फ अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में एडमिट करवाने का अधिकार होता है. बाकी के सारे अधिकार प्राइवेट स्कूल वालों के पास होते हैं. जो अभिभावकों को ATM मशीन समझते हैं जिनकी जेब से वो जितना चाहे, उतना पैसा निकालना अपना अधिकार समझते हैं.

प्राइवेट स्कूलों के आगे नहीं टिकते सरकारी नियम

नियम के मुताबिक प्राइवेट स्कूल एनसीईआरटी के अलावा भी किताबें कोर्स में शामिल कर सकते हैं और उन्हें स्कूलों में बेच भी सकते हैं. लेकिन अभिभावकों को किताबें खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. हालांकि सरकार के नियमों में इतना दम नहीं है कि वो प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के आगे टिक पाएं.

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.