
कच्चे रास्ते पर अतिक्रमण होने से आधा दर्जन घरों का बंद हुआ रास्ता पलायन को मजबूर ग्रामीण


डीह थाना क्षेत्र स्थित मंगालपुर गांव के किनारे कच्चे रास्ते पर पालिटेक्निक कालेज का हो रहा निर्माण
प्रधान व लेखपाल की लचर कार्यशैली का दंश झेल दीवार फांद कर आवागमन कर रहे ग्रामीण
मंडल ब्यूरो चीफ अनुभव शुक्ला लखनऊ
सलोन/ रायबरेली। राजस्व विभाग व एक गैर जिम्मेदार प्रधान की लापरवाही का दंश एक दर्जन से अधिक परिवार झेल रहा हैं सबसे अचंम्भे की बात है कि की यह लापरवाही आजीवन ग्रामीणों के जीवन को अंधकार में धकेलने वाली करतूत है सिस्टम पर सवाल उठना इसलिए लाजमी है की पालिटेक्निक कालेज के निर्माण के पहले से ही रास्ते पर दबंगों के अवैध कब्जे को लेकर शिकायतें पड़ी जेसीबी से कब्जा भी हटवाया गया किंतु दबंगों ने पुनः रास्ते पर अवैध कब्जा कर लिया उधर अब पालिटेक्निक कालेज की भी दीवारें खड़ी हो गई जिससे लगभग आठ मकानों में बसे परिवार पूरी तरह से कैद हो गये। अखबार में छपी इस तस्वीर को जरा गौर से देखिए! यह तस्वीर जिले के डीह थाना क्षेत्र स्थित मंगालपुर गांव की है जहां पर खुशहाली से ग्रामीण जीवन यापन कर रहे थे गांव के आसपास बने कच्चे मार्गो से आवा गमन करते थे किन्तु ग्रामीणों के कच्चे मार्गो पर शिक्षा की शिक्षा के दीपक का संस्थान तो खुला किंतु अब लगभग आठ परिवारों में दीपक जलाने के लिए ग्रामीण नहीं बचेंगे क्योकी रास्ते के आभाव में पूरी तरह से ये परिवार गांव पलायन करने पर पूरी तरह से मजबूर हैं वर्तमान स्थिति में एक दूसरे के मकानों की दीवारों को फांदकर किसी तरह ग्रामीण निकल तो रहे हैं किंतु सोचने वाली बात यह है की यदि आपसी सामंजस्य ग्रामीणों में बिगड़ा तो रास्ते की वजह विवाद का कहीं कारण ना बन जाए विदित हो की मंगालपुर गांव की निवासिनी चौबा देवी पत्नी मेवा लाल ने घर के सामने से निकले गांव के रास्ते से हरिश्चंद्र भारत आदि के कब्जे की शिकायत की कब्जा प्रशासन ने हटवाया किंतु आज भी वह रास्ता अवैध कब्जे से ग्रसित है विकास विभाग ने कागज पर प्रस्ताव व कार्ययोजना में जरुर रास्ते को महीनों से ले रखा है किंतु उसी के ठीक सामने अब निर्माणाधीन पालिटेक्निक कालेज की आठ फीट ऊंची दीवार खड़ी हो चुकी हैं ग्रामीणों की मानें तो क्षेत्रीय लेखपाल और प्रधान आज तक ग्रामीणों के निकास को लेकर गम्भीर नहीं हुए जबकी कई बार सामूहिक रूप से शिकायत भी किया गया किंतु निस्तारण के नाम पर झूंठी आख्या ही हांथ लगी है मौके पर मौजूद ग्रामीण जयकरन चौबादेवी सहित कई संख्या में मौजूद ग्रामीणों ने लाचार होकर कहा की अब प्रशासन मेरी नहीं सुनेगा गांव छोड़कर पलायन ही करना पड़ेगा आखिर तहसील प्रशासन व भ्रष्टाचार में वर्षों से संलिप्त प्रधान कब ग्रामीणों के दुखड़े को सुनेगा यह एक सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न बना हुआ है।