पिछले वर्ष दिसम्बर में दबंगों से पिटे सिपाही के परिजन जिला कारागार के सामने धरने पर बैठे

0 181
Spread the love

पिछले वर्ष दिसम्बर में दबंगों से पिटे सिपाही के परिजन जिला कारागार के सामने धरने पर बैठे

 

*कहा गैर जनपद दबंग सिपाहियों के तबादले के बाद भी जेल प्रशासन दबंगों से नहीं खाली करा रहा आवास*

 

*खाकी ही बनी थी खाकी की दुश्मन लखनऊ मुख्यालय तक घटना की गई थी गूंज*

 

मंडल ब्यूरो चीफ अनुभव शुक्ला लखनऊ

रायबरेली। (उपभोक्ता खबर) इस तस्वीर को जरा गौर से देखिए!ये उस लाचार परिवार की तस्वीर है जिसके परिजन भले ही जेल प्रशासन के अभिन्न अंग बनकर सिपाही के रुप सेवा दे रहे हों किंतु अपने ही महकमे व सिस्टम से लाचार परिवार को मजबूरी में जिला कारागार के सामने धरने पर बैठने पर मजबूर होना पड़ा विदित हो की ये उसी सिपाही का परिवार जो एक वर्ष पूर्व ज़िला जेल परिसर में जानवरों की तरह फाइबर स्टिक से पीटा था जिसका वीडियो वायरल होते ही लखनऊ मुख्यालय तक हड़कंप मचा था और होमगार्ड डीजी तक को जनपद में आना पड़ा किन्तु आश्वासन के बाद भी पीड़ित परिजनों का दबंग सिपाही पीछा छोड़ने को तैयार नहीं हैं जिससे लाचार होकर पीड़ित सिपाही का परिवार जिला कारागार के मुख्य द्वार के सामने धरने पर बैठ गया है। 25 दिसम्बर 2022 को पिटाई के शिकार हुए सिपाही मुकेश दुबे की पत्नी ने बताया की घटना में शामिल रहे सिपाहियों से जेल प्रशासन की मिली भगत है। उनका कहना है कि पिटाई करने वाले सिपाहियों को दूसरे जेल में स्थानांतरित किए जाने के बावजूद उनसे रायबरेली जेल का आवास खाली नहीं कराया गया है। आरोपी सिपाहियों का परिवार इसमें रहते हुए उनकी बेटी पर फब्तियां कसता है। पीड़ित सिपाही की पत्नी का कहना है कि अगर यहां से स्थानांतरित हुए सिपाहियों के परिवार से आवास न खाली कराया गया तो वह परिवार समेत आत्महत्या कर लेगी। मामला बीते साल के 25 दिसंबर का है। जहां कारागार में भंडारे ड्यूटी पर तैनात सिपाही मुकेश दुबे की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें उसे जानवरों की तरह पीटा जा रहा है। मुकेश दुबे का आरोप था कि उसकी निगरानी में भंडारे के अंदर बनने वाले खाने की क्वालिटी खराब करने का दबाव था। मुकेश दुबे के मुताबिक दबाव बनाने वाले जेल में तैनात उच्च अधिकारियों के अर्दली हैं और निजी कैंटीन संचालित करते हैं। मुकेश का आरोप है कि भंडारे में अच्छा खाना बनने से निजी कैंटीन की बिक्री प्रभावित हो रही थी। इसी को लेकर कैंटीन संचालकों ने अपने विश्वासपात्र सिपाहियों से उसे पिटवाया था। बाद में मामले की उच्च स्तरीय जांच के बाद पिटाई करने वाले पांच सिपाहियों को सस्पेंड किया गया था। सभी आरोपी सिपाहियों को अब प्रदेश की अलग अलग जेलों में तैनाती दे दी गई है। जिले से बाहर तैनाती होने के बावजूद आरोपी सिपाहियों से उनके आवास नहीं खाली कराए गए। सिपाही मुकेश दुबे की पत्नी का आरोप है कि सिपाहियों के परिवार यहां रहने से उन्हें खतरा बना है। उन्होंने इसी बात को लेकर कारागार जेल के बाहर धरना देते हुए कहा है कि अगर आरोपी सिपाहियों से उनके आवास नहीं खाली कराए गए तो वह पूरे परिवार के साथ आत्मदाह कर लेगी। उधर जेल प्रशासन इस मामले को लेकर सामने आने से बच रहा है। अब देखना यह है की गैर जनपद तबादला हुए दबंग सिपाहियों से जेल प्रशासन कमरे खाली करवा पाता है या फिर पीड़ित परिवार धरने पर ही बैठा रहेगा.? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.