
राम मय हुआ भीतरगाँव, भक्त निकालेंगे श्री राम जी की शोभायात्रा


संतोष कुमार मिश्रा/रायबरेली
22 जनवरी को अयोध्या में आयोजित होने वाले श्री राम जन्मभूमि मंदिर में श्री राम लाल के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के शुभ अवसर पर रायबरेली जिले के भीतरगांव स्थित सिद्ध पीठ मां आनंदी मंदिर परिसर में भी उत्सव मनाया जाएगा क्षेत्र की कार्यकर्ताओं एवं श्रद्धालुओं द्वारा पिछले कई दिनों से इसकी तैयारी की जा रही है इस ऐतिहासिक और पावन अवसर को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाने में कोई भी सनातनी अपने को वंचित नहीं रखना चाहता है इस अवसर को यादगार बनाने के लिए आनंदी देवी मंदिर में 2100 दीपक प्रज्वलित किया जाएंगे एवं श्री राम जी की शोभायात्रा का भी आयोजन किया जाएगा
*माँ आनन्दी मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं ने की साफ सफाई*
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले देश भर के मंदिरों को साफ करने के प्रधानमंत्री मोदी की अपील पर अमल होने लगा है खीरों क्षेत्र के सिद्ध पीठ माँ आनंदी मन्दिर परिसर में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सर्वेश सिंह एवं आनंदी सेवा समिति के संस्थापक अश्विनी कुमार मिश्रा महामंत्री विजय मिश्रा कोषाध्यक्ष रामशरण सैनी गोपाल मिश्रा सहित सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर की सफाई की एवं अपने जीवन से विकारों को त्यागने का प्रण लिया
*क्या है प्राणप्रतिष्ठा*
अगर शाब्दिक अर्थ की बात करें तो प्राण का अर्थ है जीवन शक्ति और प्रतिष्ठा का अर्थ है स्थापना. प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ होता है किसी जीवन शक्ति को स्थापित करना. धार्मिक रुप से प्राण प्रतिष्ठा एक तरह का धार्मिक अनुष्ठान है जिसका दो धर्मों में पालन किया जाता है. हिन्दू और जैन धर्म के लोग इसके जरिए किसी मंदिर में पहली बार भगवान की मूर्ति स्थापित करते हैं. ये काम कई पूजारियों की उपस्थिति में होता हैं जिसमें कई सारे धार्मिक मंत्रों और भजनों को भी शामिल किया जाता है. हिन्दू धर्म में अगर किसी मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा ना हुआ हो तो उसे पूजा करने योग्य नहीं माना जाता है.
*प्राणप्रतिष्ठा की प्रतिक्रिया*
प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में कई सारी विधियां शामिल होती हैं. मान्यता के अनुसार इनका पालन किया जाना बहुत जरूरी होता है. इसमें सबसे पहले जिस मूर्ति का प्रतिष्ठा होना है उसे समारोह पूर्वक लाया जाता है. फिर मंदिर के मुख्य द्वार पर किसी अतिथि की तरह स्वागत किया जाता है. फिर इस मूर्ति को सुगंधित चीजों का लेप लगाकर दूध से नहलाते हैं. इससे मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा योग्य बन जाती है. आगे मूर्ति को गर्भ गृह में रखकर उसकी विधिवत पूजा की जाती है. इसी दौरान कपड़े पहनाकर देवता की मूर्ति को यथास्थान पुजारी स्थापित कर देते हैं. स्थापित करने के बाद देवता को भजनों, मंत्रों और पूजा की खास विधियों द्वारा आमंत्रित किया जाता है.इसके बाद सबसे पहले मूर्ति की आंख खोली जाती है. ये प्रक्रिया पूरी होने के बाद फिर मंदिर में उस देवता की मूर्ति की पूजा अर्चना होती है. इस अनुष्ठान को हिंदू मंदिर में जीवन का संचार करने के साथ उसमें दिव्यता और आध्यात्मिकता की दिव्य उपस्थिति लाने वाला माना जाता है.