नसीराबाद पुलिस कि निष्क्रियता से दलित संगठनों को मिला प्रदर्शन का मौका इंस्पेक्टर ने दिया अनभिज्ञता का परिचय नेताओं कि कठपुतली बने इंस्पेक्टर मुख्य आरोपी कि घटना के बाद करते गिरफ्तारी तो न फैलता आक्रोश घटना वाली रात मुख्य आरोपियों को दबोचने के बजाय ठंडे बस्ते में डालने के लिए खाकी गलियारों में पटक रही थी डंडा

नसीराबाद पुलिस कि निष्क्रियता से दलित संगठनों को मिला प्रदर्शन का मौका इंस्पेक्टर ने दिया अनभिज्ञता का परिचय


नेताओं कि कठपुतली बने इंस्पेक्टर मुख्य आरोपी कि घटना के बाद करते गिरफ्तारी तो न फैलता आक्रोश
घटना वाली रात मुख्य आरोपियों को दबोचने के बजाय ठंडे बस्ते में डालने के लिए खाकी गलियारों में पटक रही थी डंडा
मंडल ब्यूरो चीफ अनुभव शुक्ला लखनऊ
रायबरेली। (उपभोक्ता खबर( वो 11 अगस्त कि काली रात जब जनपद के नसीराबाद थाना क्षेत्र स्थित भुआलपुर सिसनी गांव में जब गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले दलित के बेटे को मामूली कहासुनी में बेख़ौफ़ दबंगों ने गोली मारकर मौत के घाट उतार कर घर का चिराग बुझा दिया। घटना कि जानकारी क्षेत्र में आग कि तरह फैल गई। किंतु नसीराबाद के अनुभव हीन थानाध्यक्ष क्षेत्रीय नेताओं के इशारे का इंतजार कर दलित युवक के परिजनों के रोने का तमाशा देख रहे थे। जबकि यह तय था कि युवक को गोली मारकर मुख्य आरोपी नवीन मौके से फरार हो चुका था । जबकि मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करना खाकी का मूल कर्तव्य था। उसके बावजूद नेताओं के हांथ कि कठपुतली बनी नसीराबाद पुलिस अन्य कथित आरोपियों को छोड़ मुख्य आरोपियों कि भी गिरफ्तारी करना मुनासिब नहीं समझ रही थी। रात बीती 12 अगस्त कि सुबह भी जब पुलिस मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई और न ही मृतक के परिजनों को कार्यवाही का पुख्ता आश्वासन दे पाई । नसीराबाद पुलिस सिर्फ उपद्रव रोंक कर ठंडें बस्ते में मामले को निपटाने के लिए रात-भर गांव के गलियारों में डंडे पटकती रही। उसी बीच दलित संगठनों को मौका मिला और सुबह मनमाफिक तहरीर में मुख्य आरोपी सहित अन्य लोगों का भी नाम डालकर मृतक के परिजनो से हस्ताक्षर करवा लिया और सड़क जाम कर प्रदर्शन शुरू कर दिया छः थानों कि फोर्स के बाद भी मुख्य आरोपी को न दबोच पाने से भीम आर्मी जैसे दलित संगठनों का आक्रोश भी वाजिब था पुलिस महकमा कुम्भकर्णी नींद से जागा और सात पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर छः लोगों को धर दबोचा और जेल भेज दिया। जिसके बाद दलित संगठनों का हौसला बुलंद हुआ अब सातवें आरोपी कि भी गिरफ्तारी के लिए भी दलित संगठन हजारों कि संख्या में डीएम कार्यालय पहुंचकर गिरफ्तारी सहित अन्य कार्यवाही कि मांग कर रहे थे दिनभर कलेक्ट्रेट परिसर में हंगामा कि स्थित थी। इधर सवर्ण आर्मी के कार्यकर्ताओं ने भी एसपी कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर कथित आरोपी विशाल सिंह को फ़र्जी फंसाए जाने का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच करने कि मांग कि है। जिससे यह कहना अब मुश्किल नहीं है कि नसीराबाद थाना से लेकर एसपी कार्यालय में बैठे पुलिस महकमे कि लापरवाही से वर्तमान समय में रायबरेली जनपद में स्वर्ण बनाम दलित के मध्य नफरत का बीज बोया जा चुका है। जरा सी पुलिसिया लापरवाही से मौके पर ही निपटने वाले मामले में जनपद ही नहीं बल्कि गैर जनपदों के दलित संगठनों को आकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है आखिर नसीराबाद थाना में तैनात हल्का उपनिरीक्षक व हल्का सिपाही को क्या नवीन सिंह व अर्जुन पासी के विवाद कि भनक नहीं लगी.? गांव में गुटबाजी का माहौल है क्या इसकी भनक खाकी को नहीं लगी.? हत्या के तुरंत बाद नसीराबाद पुलिस ने आरोपियों पर सख्त कार्यवाही का आश्वासन देकर तत्काल धड़पकड़ में क्यूं नहीं जुट गई। हो कुछ भी किंतु अर्जुन पासी हत्याकांड नसीराबाद थानाध्यक्ष कि लापरवाही व कानूनी अनभिज्ञता का साक्षात प्रमाण है। अब देखना यह है कि इस नफरत व बदले कि आग को एसपी अभिषेक अग्रवाल बुझाने में सफल हो पाते हैं या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा! हो कुछ भी किंतु नसीराबाद थानाध्यक्ष ने अपनी नौसिखिया भरी हरकतों से सलोन सर्किल के नवागंतुक सीओ प्रदीप कुमार को भी मुश्किल में डाल दिया है।